कहानी
शायद अब वह नहीं आयेगा उस दिन वह अचानक ही मुझसे टकरा गया था। मेरा स्कूटर अस्पताल के छोटे सँकरे गेट के अन्दर दाखिल हो रहा था और उसकी साइकिल तेजी से बाहर निकल रही थी। दोनों अपनी अपनी तेजी में थे। मोड़ पर आपस में भिड़ गये। हम दोनों ने एक दूसरे को चौंक कर देखा। उसनें हड़बड़ा कर नमस्ते की और मेरे मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ा-'अरे, तुम ? यहां क्या कर रहे हो ? 'आप ही से मिलने आया था ।’ उसने अपनी साइकिल सम्हाली। मुझे रूकने को कहा और करीब आकर कहने लगा-'वाइफ की तबीयत खराब है, जरा किसी बढ़िया लेडी डाक्टर को दिखला दीजिए, प्रेगनेंसी का मामला है। बेचारी सुबह से दर्द से छटपटा रही है। प्लीज हेल्प मी, आई बेग...........।’ वह आदतन एकदम से रूआँसा हो गया। उसके बदहवास चेहरे और याचना के हाव भाव ने मुझे फिर से बाँध लिया। बाध्य होकर मैंने अपने हाँथ का ढाँढस उसके कंधे पर रखा-'जाओ वाइफ को ले आओ, मैं अच्छी तरह से चेकअप करवा दूँगा।’ 'क्या कुछ दवाइयाँ भी मिल जाएंगी ? इधर पैसों की बड़ी तंगी है।’ 'देखूगाँ, पहले उसे लेकर तो आओ।’ वह उछल कर साइकिल पर सवार हो गया। उसके चेहरे से साफ...