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मार्च 1, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आज कहाँ खड़ी हैं महिलायें--एक

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हिन्द ी क ी सुप्रसिद्ध लेखिक ा डॉक्टर प्रभ ा खेतान क ो हम उनक ी रचनाओ ं " आआ ॓ पेप े घर चले ं ", " पील ी आंध ी ", " छिन्नमस्त ा " , " अपरिचित उजाल े ", " उपनिवेश मे ं स्त्र ी " और विश्व विख्यात अस्तित्ववाद ी चिंतक व लेखक ज्या ं पाल सार्त्र पर लिख ी उनक ी पुस्तको ं स े जानते ं है ं । ल े किन प्रभ ा ज ी क ो सबस े ज्याद ा ख्यात ि फ्रांसीस ी रचनाकार सिमोन द बोउव ा क ी पुस्तक ‘ द ि सेकेंड सेक्स ’ क े अनुवाद ‘ स्त्र ी उपेक्षित ा ’ स े मिली। आज अंतर्राष्ट्रीय महिल ा दिवस क े अवसर पर मै ं इस ी पुस्तक क े लिए लिख ी गई उनक ी भूमिक ा क े अंश क ो यहा ँ प्रस्तुत कर रह ा हू ँ । 1949 मे ं लिख ी गई ' द सैकेण्ड सेक्स ' क े सन्दर्भ मे ं भारतीय स्त्रियो ं क ो लेकर 1989 मे ं लिख े गय े प्रभ ा खेतान क े विचारआज भ ी प्रसंगिक हैं। " हमें बड़ी उदारता से सामान्य स्त्री और उसके परिवेश के बारे में सोचना होगा। सीमोन ने उन्हीं क

यह न्याय है या....

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यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है। पर लगती बिल्कुल फिल्मों जैसी है। अशोक राय उर्फ़ अमित नाम के एक तेज-तर्रार और मेधावी लड़के के पास एक लडकी ट्यूशन पढ़ने जाती थी। पढाते-पढाते उस शिक्षक युवक की नीयत ख़राब हो जाती है। और एक दिन धोखे से प्रसाद में नशीला पदार्थ मिलाकर वह उस लडकी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना लेता है। इतना ही नहीं, अशोक राय अब उस लडकी को शादी का झाँसा देकर लगातार उस के साथ महीनों बलात्कार करता है। अपने परिचितों के साथ सोने के लिए उस पर दबाव बनाता है। और जब लडकी गर्भवती हो जाती है, तो उसको माला-डी की गोलियां देकर उसका एबार्शन करने की कोशिश भी करता है। इस ज़लालत और घिन भरी ज़िंदगी से तंग होकर वह लडकी एक दिन आत्महत्या कर लेती है। वर्ष २००३ में राय के खिलाफ दिल्ली के कृष्णा नगर थाने में आई पी सी की धारा ३७६ और ३०६ के तहत बलात्कार व आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया जाता है। निचली अदालत अशोक राय को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाती है। और वह जेल भेज दिया जाता है । सब को लगता है की चलो, पीड़ित लडकी को न्याय मिल गया। उसकी मृत-आत्मा को शान्ति मिल गयी। बलात्कार करने और आत्मह