आज कहाँ खड़ी हैं महिलायें--एक
हिन्द ी क ी सुप्रसिद्ध लेखिक ा डॉक्टर प्रभ ा खेतान क ो हम उनक ी रचनाओ ं " आआ ॓ पेप े घर चले ं ", " पील ी आंध ी ", " छिन्नमस्त ा " , " अपरिचित उजाल े ", " उपनिवेश मे ं स्त्र ी " और विश्व विख्यात अस्तित्ववाद ी चिंतक व लेखक ज्या ं पाल सार्त्र पर लिख ी उनक ी पुस्तको ं स े जानते ं है ं । ल े किन प्रभ ा ज ी क ो सबस े ज्याद ा ख्यात ि फ्रांसीस ी रचनाकार सिमोन द बोउव ा क ी पुस्तक ‘ द ि सेकेंड सेक्स ’ क े अनुवाद ‘ स्त्र ी उपेक्षित ा ’ स े मिली। आज अंतर्राष्ट्रीय महिल ा दिवस क े अवसर पर मै ं इस ी पुस्तक क े लिए लिख ी गई उनक ी भूमिक ा क े अंश क ो यहा ँ प्रस्तुत कर रह ा हू ँ । 1949 मे ं लिख ी गई ' द सैकेण्ड सेक्स ' क े सन्दर्भ मे ं भारतीय स्त्रियो ं क ो लेकर 1989 मे ं लिख े गय े प्रभ ा खेतान क े विचारआज भ ी प्रसंगिक हैं। " हमें बड़ी उदारता से सामान्य स्त्री और उसके परिवेश के बारे में सोचना होगा। सीमोन ने उन्हीं क...