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भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई--२

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पहले इस बहुरूपिये भ्रष्टाचार को ठीक से समझना जरूरी है किसी दुश्मन से लड़ने और उसे परास्त करने के लिए यह जरूरी है कि पहले उसके वजूद ,आकार-प्रकार व ताकत को अच्छी तरह से समझ कर पूरी तैयारी कर ली जाये, फिर उससे जमकर, उसक¨ अंतिम रूप से धुल चटाने के लिए भिड़ा जाये। अगर दुश्मन की कद काठी को छोटा व शक्ति को कम मानकर ललकारा जायेगा, तो उसे हराना तो दूर वह टस से मस भी नही होगा, बल्कि उल्टा वही हमारी ताकत को नष्ट भ्रष्ट कर के अंततः हमें ही पछाड़ कर देगा। भ्रष्टाचार विरोधी चलने वाली मुहिम के सन्दर्भ में यह बहुत जरूरी है कि पहले इस बहुरूपिये भ्रष्टाचार व उसकी जड़ों को ठीक से समझा जाये, फिर उस पर कारगर प्रहार किया जाये। वरना होगा वही जो इस समय अन्ना हजारे के आन्दोलन के साथ है रहा है। वैसे, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकपाल बिल बनाने का विचार 1960 के दशक से ही लगातार चर्चा में बना हुआ है। लेकिन सिर्फ चर्चा में। उच्च संस्थानों में जब भी बड़े-बड़े घोटालों या भ्रष्टाचार की खबरें सुर्खियाँ बनती हैं, तब तब लोकपाल का भूत दबी-फेंकी हुयी फाईलों से बाहर निकाल लिया जाता है। लेकिन सुर्खियों की लहरों के शांत