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मेरठ में हुए फसाद पर एक त्वरित प्रतिक्रिया

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किसी भी शहर की शांत फिजा को बिगाड़ने और जनता के बीच नफ़रत के बीज बोने का काम जाति और धर्म पर aआधारित गंदी व ओछी राजनीति करने वाले कुछ मुट्ठी भर नेता व सफेदपोश लोग करते हैं। उनको तो बस इंतजार रहता है कि कब कोई शरारती और असामाजिक तत्त्व अपनी कोई ऐसी वैसी ओछी हरकत करे और इनको अपनी अपनी रोटियां सेकने का सुनहरा मौका मिल जाये। अपने अपने समूह और tगिरोह का रहनुमा बनाने का।और यह सब कुछ चुनावों के करीब खूब होता है। पर हमें इतना जरूर समझाना चाहिए कि ऐसे नेता अंततः न तो कभी किसी समूह का भला oकरते हैं और न ही किसी जाति और धर्म का। ये हर हालमे सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करते हैं। वोट बटोरने एवं सत्ता में साझेदारी करके अपनी तिजोरियां भरने का।...आम और मेहनतकश लोग तो हमेशा ही अमन पसंद होते हैं। और यह व्यापक जन समुदाय ही है हमारी ऐतिहासिक हिन्दू मुस्लिम सांप्रदायिक एकता की संस्कृति का सर्जक ! इन्ही के कंधो पर टिकी हुयी है हमारी यह महान विरासत। क्योंकि इन्हीं लोगों ने अपने खून-पसीने से इस संस्कृति की रचना की है। इसीलिए चंद मुट्ठी भर लोगों, असामाजिक व सांप्रदायिक ताकतों की तमाम कुचेष्टा के बावजूद