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जुलाई 17, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हाँ, सेक्स वर्कर्स को भी सम्मान से जीने का हक मिलना चाहिये

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बहुत लोगों को यह् बात बहुत नागवार लग सकती है.वो नाक भौं सिकोडते हुये पागलपन की हद तक आग बबूला हो सकते है.यह भी हो सकता है कि भारतीय संस्क्रिति के कुछ स्वम्भू ठेकेदार इस बात पर इतना भड़क उठें कि सडकों पर उतर कर तोड़-फोड़ करने लगें. और शायद यह भी हो जाये कि देश के किसी दूर-दराज़ के गाँव की किसी पन्चायत में आनन फ़ानन में इस के खिलाफ़ कोई फ़तवा भी जारी कर दिया जाये. पर हमारे संविधान के अनुसार इस देश के हर इन्सान को सम्मान से जीने का अधिकार है.फ़िर सेक्स वर्कर्स को यह अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिये?... यह् बात मैं नहीं इस देश का सर्वोच्च न्ययालय कह रहा है. जी हां, सुप्रीम कोर्ट सेक्स वर्कर्स को सम्मान के साथ उन्हें अपना पेशा चलाने के लिए 'माकूल हालात' पैदा करने की तैयारी में है. आ ई बी एन 7 की ताज़ा खबर के अनुसार---सुप्रीम कोर्ट मनाता है कि सेक्स वर्कर्स को भी सम्मान से जीने का हक मिलना चाहिये. परन्तु जिस देश मे लडकियों को गर्भ में ही मार दिया जाता हो,उनके साथ हर कदम पर भेदभाव किया जाता हो,उनको या तो गुलाम या भोग्या या बिकाऊ जिंस समझा जाता हो, उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया ज...

बाबा व्यापार करने के साथ सत्ता में हिस्सेदारी भी चाहते हैं...दो

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लेकिन बाज़ार पर कब्ज़ा करने और सत्ता में हिस्सेदारी के लिये जिन ज़रूरी अवयवों की ज़रूरत होती है वह सब कुछ बाबा के पास बिल्कुल नहीं है . बल्कि सिरे से गायब है . आज के प्रतिस्पर्धा से भरपूर समय में बाज़ार में वही अपनी सही जगह बनाकर टिक पाता है जिसके उत्पाद गुणवत्ता और परिणाम दोनों में उत्तम होते हैं .... और इस मामले में बाबा का हाँथ कत्तई तंग है . शुरू से ही उनके उत्पादों के बनाने के तौर तरीकों और उनमें मिलाये जाने वाले तत्वों पर सवाल खडे किये जाते रहे हैं . और सम्भवतः इन्हीं सब कारणों की वजह से एवं " गुड मैनुफ़ैक्चरिन्ग प्रैक्टिसेज " के अभाव से उनके उत्पाद अमेरिका सहित कई देशों में प्रतिबन्धित हैं . हमारे देश में भी उनके उत्पादों के दावों की कलई पूरी तरह से खुल चुकी है . बाबा दावा करते हैं कि उनके सिखाये योग और उनकी दवाइयों के नियमित सेवन से डायब...