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जून 26, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाबा व्यापार करने के साथ सत्ता में हिस्सेदारी भी चाहते हैं...एक

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एक लम्बे अंतराल या यूं कहें अपने लम्बे अवसादग्रस्त अज्ञातवास के बाद बाबा रामदेव अब गाहे बगाहे फिर से टीवी चैनलों पर प्रगट होने लगे हैं। वैसे भी बाबा और टीवी चैनलों का चोली दामन का साथ है। एक तो चैनलों की टी आर पी बाबा से खूब बढ़ती है और दूसरे बाबा को बैठे बिठाये घर-घर में खूब प्रचार मिल जाता है। और शायद इसीलिये बाबा के साम्राज्य में उनका अपना खुद का एक चैनल भी है। उपभोक्ता संस्कृति के इस दौर में जब हर चीज बिकाऊ हो जाती है तो बाबा का योग और आसन भी आसानी से बिकने लगता है। और सिर्फ बिकता ही नहीं, एक योग शिक्षक देखते ही देखते एक बाबा, स्वामी, सन्यासी और फिर एक नायक महानायक बन कर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ धर्मयुद्ध का बिगुल बजाने निकल पड़ता है। उनकी इस यात्रा में एक अरसे से टी वी चैनल खूब खाद पानी डालते रहे हैं। यह और बात है जिन चैनलों ने उन्हें फर्श से उठा कर आसमान पर बिठाने की पुरजोर कोशिश की थी उन्हीं की वजह से आज वे फिर से फर्श पर आ गिरे हैं। लेकिन बाबा इसको मानने को कत्तई तैयार नहीं हैं। उनकी इस पूरी "हवाई यात्रा" ने उनके अन्दर अहंकार को इतना भर दिया है...