कई बार सोचता हूँ...
कई बार सोचता हूँ कि अपने बारे में विस्तार से लिखूं । अपनी ज़िंदगी के बारे में । अपने अनुभवों के बारे में । अपने प्यार , अपनी चाहत, अपनी नफ़रत , अपने संघर्षों, अपनी उपलब्धियों , अपनी नाकामयाबियों और अपनी अब तक की सम्पूर्ण जीवन यात्रा के बारे में ।... अपने बार बार मरने और फिर-फिर से जी उठने के बारे में लिखूं । मैं चाहता हूँ कि अपने परिवार , अपने दोस्तों और अपने दुश्मनों के बारे में लिखूं ।... आज कल मै जो कुछ भी हूँ , जैसा भी हूँ और जिन्दगी के जिस भी मुकाम पर हूँ , उसमें दोस्तों का जितना हाथ है, उससे कहीं ज्यादे उन छुपे हुए दुश्मनों और उन फरेबियों का भी हाथ है , जिन्होनें न सिर्फ बार - बार मेरे पीठ में छुरा घोंपा है बल्कि मेरी राह में कदम कदम पर बारूदी सुरंगें भी बिछाई हैं । अपनों ने अपने प्यार से जहाँ मुझे लड़ने, जूझने और अपनी राह पर दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़ने की ताकत दी है , वहीं मुझसे जलने- चिढ़ने वालों ने मुझे जिद्दी , पलट कर बदला लेने वाला और...