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फ़रवरी 15, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐड्स के शोर में बढ़ रही हैं अन्य जानलेवा बीमारियाँ

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आज पुरी दुनिया में एच आई वी और ऐड्स को लेकर जिस तरह का भय व्याप्त है और इसकी रोकथाम व उन्मूलन के लिए जिस तरह के जोरदार अभियान चलाये जा रहे हैं , उससे कैंसर , हार्ट - डिजीज , टी बी और डायबिटीज़ जैसी खतरनाक बीमारियाँ लगातार उपेक्षित हो रही हैं । और बेलगाम होकर लोगों पर अपना जानलेवा कहर बरपा रही हैं। पूरी दुनिया के आँकडों की मानें तो हर साल ऐड्स से मरने वालों की संख्या जहाँ हजारों में होती है , वहीं दूसरी घातक बीमारियों की चपेट आकर लाखों लोग अकाल ही मौत के मुँह में समां जाते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अगर ह्रदय रोग , कैंसर , मधुमेह और क्षय - रोग से बचने के लिए लोगों को जागरूक या इनके उन्मूलन के लिए कारगर उपाय नही किए गए , तो अगले दस वर्षो में इन बीमारियों से लगभग पौने चार करोड़ लोगों की मौत हो सकती है । इस रिपोर्ट के अनुसार तमाम विकसित देशों ने इन बीमारियों के खतरों के प्रति व्यापक जागरूकता फैलाकर और इनसे

कृष्णा सोबती जी, आपको जन्मदिन मुबारक हो !!

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आज हिन्दी की मशहूर साहित्यकार कृष्णा सोबती जी का ८४ वाँ जन्मदिन है। उनको इसकी बहुत-बहुत बधाई। 'मित्रों मरजानी', 'जिंदगीनामा', 'ऐ लडकी', 'सूरजमुखी अंधेरों के' और 'दिल ओ दानिश' जैसी रचनाओं के माध्यम से मानवीय रिश्तों और स्त्री के व्यक्तित्व की जटिलताओं को बड़ी ही कुशलता से चित्रित पाठकों की चेतना को विकसित करने वाली कृष्णा जी को हिन्दी साहित्य जगत बहुत ही आदर की दृष्टि से देखता है। उनके उपन्यास 'जिंदगीनामा' के लिए उनको १९८० में न सिर्फ़ साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बल्कि १९९६ में उनको साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान 'साहित्य अकादमी फेलोशिप' से भी नवाजा गया था। इसके अलावा उनके अनूठे साहित्यिक योगदान के लिए उनको शिरोमणि पुरस्कार, शलाका पुरस्कार और व्यास सम्मान से सुशोभित किया गया है। कृष्णा जी अपनी 'बोल्ड' और 'बिंदास' लेखनी के लिए जानी जाती है। उनके कथ्य और उसको प्रस्तुत करने की उनकी अनोखी शैली उन्हें तमाम साहित्यकारों की भीड़ से अलग करके एक ऊंचा स्थान प्रदान करती है। उन्होंने अपनी रचनाओं में