महामारियों का विश्व साहित्य और संस्कृति पर प्रभाव

दो हज़ार बीस और इक्कीस को कोरोना काल कहा जा सकता है. जैसे कि प्रकृति से लगातार की जा रही छेड़छाड़ , पर्यावरण को छिन्न-भिन्न करने की कारपोरेट कुचेष्टाएँ, विज्ञान, धर्म, सामाजिक तानाबाना, परिवार, मन-मस्तिष्क, चिकित्सा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति और वायरसों के हमलों के सामने हमारी का साल "कोरोना" की महामारी का साल कहा जा सकता है. कई लोगों ने तो इसे "कोरोना काल" का नाम भी दे दिया है. अब आप इसे "कोरोना काल" कहें या फिर "महामारी का वर्ष", हक़ीकत यह है कि कोविड-19 की इस प्रलयंकारी बीमारी ने पूरी दुनिया में अब तक सवा नौ करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. बीस लाख से ऊपर लोगों की मौत हो चुकी है. खुद अपने देश में ही, तक़रीबन एक करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं और लगभग डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है. कहने को तो अब दुनिया के बड़े-बड़े देशों में इसका टीका (वैक्सीन) बन गया है, लेकिन वह कितना कारगर साबित होता है, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा. पर भारत ने इस वैक्सीन को बनाकर लोगों तक पहुँचाने की दिशा में जो एक ऊंची छलांग लगाई है, वह क़ाबिले तारीफ़ है. बाकी इसके प्रभावी होने या न होने का मुद्दा भी भविष्य के गर्भ में छुपा है. परन्तु एक बात सच है कि इस कोरोना ने हमें बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर कर दिमज़बूरी-असहायता    

चूंकि साहित्य समाज का दर्पण होता है और कवि, कहानीकार, लेखक, चित्रकार और वैज्ञानिक-इतिहासकार उस दर्पण में उभरने वाली तस्वीरों को अपनी क़लम या तूलिका से सजीव बनाने वाले कलाकार-संस्कृतिकर्मी. इसीलिये मैंने इस "कोरोना काल" में तमाम विश्व साहित्य को खंगालने का काम किया है, ताकि न सिर्फ मुझे बल्कि आप लोगों को भी यह जानकारी मिल सके कि "कोविड-19" सहित अब तक कितनी और किस-किस तरह की महामारियों ने दुनिया को हिला कर रखा है और उन्होंने किस हद तक लेखकों, साहित्यकारों,वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और पत्रकारों को प्रभावित किया है? अपनी इस जिज्ञासा के साथ मैंने विश्व के कई ऐसे कहानीकारों, उपन्यासकारों, कवियों, चित्रकारों, मनोचिकित्सकों, इतिहासकारों वैज्ञानिको और चिकित्सकों द्वारा रचित-लिखित किताबों से गुज़र कर आप लोगों से भी उनका परिचय करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने महामारियों की विभीषिकाओं का मार्मिक और जीवंत चित्रण किया है. 

आप मेरे यूट्यूब चैनल पर नियमित "एपिसोड वाइज" स्ट्रीम कर रहे इस सीरीज़ को देख कर महामारियों का साहित्य और संस्कृति पर पड़ने वाले प्रभाव के अच्छी-खासी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.   

---अरविन्द कुमार 

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