आज बाबा डार्विन की दो सौवीं सालगिरह है
आज से दो सौ साल पहले यानि कि12 फरवरी १८०९ को "विकासवाद" एवं "योग्यतम की उत्तरजीविता" के सिद्धांत के जनक चार्ल्स डार्विन का जन्म हुआ था। डार्विन की इन क्रांतिकारी स्थापनाओं ने न तब धर्म आधारित तमाम मान्यतायों या आस्थाओं को खंड-खंड किया था, बल्कि धर्म द्वारा संचालित राजसत्ता के समक्ष कई कठिन चुनौतियाँ भी खडी कर दी थीं। डार्विन को तब धर्म विरोधी और नास्तिक कह कर काफी आलोचना की गयी थी।
हालाँकि
आज जहाँ पूरी दुनिया बाबा डार्विन की २०० वां जन्मदिन मना रहा है, वहीं नेपाल में जन क्रांति की १४वी वर्षगांठ मनाई जा रही है। आज ही के दिन
नेपाल अब बदल रहा है। वहां राजशाही ख़त्म हो चुकी है । सदिओं से जनता पर अपना अन्यायपूर्ण शासन करने वाले राजा आज महल से निकाले जा चुके है। अब नेपाल एक एकीकृत हिंदू राष्ट्र नही, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बन गया है । अब वहां जनता का नया सविधान लिखा जा रहा है । अगला चुनाव इसी संविधान की रोशनी में लड़ा जाएगा। हालाँकि नेपाल को अभी एक लंबा रास्ता तय करना है । पर शायद जल्दी ही वह दुनिया के नक्शे पर एक नया समाजवादी देश बन कर उभरेगा। ऐसा लगता है।
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Regards