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मेरे जीवन की तीन कहानियां

स्टीव जॉब्स सिर्फ मेरे ही नहीं , दुनिया के लाखों करोड़ो लोगों के प्रेरणा स्रोत रहे हैं । और आगे भी रहेंगे . ज़मीन से उठ कर आसमान की बुलंदियों तक को छूने का उनका सफ़र उनके सपने , उनकी दृष्टि , उनकी सतत कर्मठता और अपने काम के प्रति उनके अटूट प्रेम की जीती - जगती मिसाल है ... आज मैं यहाँ पर कैलिफोर्निया के स्टानफोर्ड यूनिवर्सिटी में दिए गए उनके व्याख्यान को "रविवार" से साभार लेकर प्रस्तुत कर रहा हूँ . --- अरविन्द कुमार मेरे जीवन की तीन कहानियाँ --- स्टीव जॉब्स

चलो आखिर इरोम शर्मीला की सुध तो आयी...

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इस देश में कितना अजीब और खतरनाक सा चलन चल पड़ा है कि उसी अनशन को अनशन माना जाता है जिसके सिर पर मीडिया खास करके इलेक्ट्रानिक मीडिया अपना वरद हस्त रख देता है ? वरना वह सत्याग्रह नहीं दुराग्रह या आत्महत्या की कोशिश है । मीडिया ने जहाँ अन्ना हजारे को रातों - रात पूरे देश के लिए एक आंधी बना कर गांधी या भगत सिंह बना दिया और अंततः सरकार को काफी हद तक झुकने के लिए मज़बूर कर दिया । कारोबारी बाबा रामदेव को भी एक महान संत, भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाने वाला सन्यासी और क्रांतिकारी बना कर अन्ना के कद को काफी हद तक छोटा करने की पुरजोर कोशिश की और उनके खाते पीते अघाए भक्तों को भ्रष्टाचार से लड़ने वाले कटिबद्ध लोगों के रूप में चित्रित करने का भरपूर प्रयास किया तथा उनके और उनके जमावड़े के खिलाफ की गयी पुलिसिया कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या तक की संज्ञा दे डाली। वहीं केवल बिकने वाली चीज़ों को दिखाने और पढ़ाने वाले समूचे मीडियातंत्र को न तो गंगा की पवित्रता के लिए खनन माफियाओं के खिलाफ निरंतर अनशन करने वाले संत निगमानंद की

क्या आप जने फोंडा को जानते हैं?

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आज कल जने फोंडा एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं। पर इस बार अपने किसी बयान या विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं, अपनी सुन्दर, जवाँ और सेक्सी काया के कारण। अभी हाल में ही उनकी कुछ तस्वीरें जारी की गयी हैं। इन तस्वीरों को देख कर यह ज़रा भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि उनकी उम्र ७३ साल की है और वे दो प्रौढ़ व्यक्तियों की माँ हैं। इन तस्वीरों में दिखने वाली उनकी फीगर के हिसाब से वे हद से हद ३०-४० साल की महिला लग रही हैं, जिसको देख कर दुनिया का कोई भी पुरुष जहाँ झटके खा सकता है वहीं महिलायें ईर्ष्या से भर सकती है। और यह वाकई गौर करने वाली बात है। और सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि एक ज़माने की यह अमेरिकन एक्ट्रेस अपने उम्र के इस पड़ाव पर भी आज कल स्वास्थ्य एवं फैशन गुरु के रूप में काफी चर्चित एवं सक्रिय है। जाने फोंडा का जन्म २१ दिसंबर १९३७ में हुआ था और उनका पूरा नाम लेडी जीने सेयमौर फोंडा है। अपने कर्रिएर की शुरुआत एक फैशन मोडल और फ़िल्मी एक्ट्रेस के रूप में करने वाली जने एक लेखक और राजनीतिक एक्टिविस्ट के रूप में भी काफी चर्चित रही हैं। एक एक्ट्रेस के रूप में उनको प्रसिद्धि लगभग १९६० के

कुल मिला कर "आरक्षण" एक बकवास फ़िल्म है

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वैसे तो आज कल की हिंदी फिल्मों पर चर्चा करना और उन पर कुछ भी लिखना अपना समय बर्बाद करना है, पर न चाहते हुए भी "आरक्षण" फ़िल्म पर टिप्पणी करने से मैं अपने आप को नहीं रोक पा रहा हूँ। पर इसकी वज़ह यह कत्तई नहीं है कि मैंने इस फ़िल्म से सामाजिक सरोकार की कोई बड़ी उम्मीद लगा रखी थी या कि मैं यह सोच रहा था कि शायद यह फ़िल्म अपने माध्यम से आज के युवा मनों में आरक्षण को लेकर चलने वाली तमाम उथल-पुथल को कोई तर्कसंगत दिशा देगी और जातिवाद की बढ़ती हुयी खाई को सामाजिक एवं राजनीतिक तौर पर पाटने के लिए अपनी सीमाओं में ही सही कोई सांकेतिक बौद्धिक हल सुझाएगी। और समाज में आरक्षण को लेकर नए सिरे से कोई वैज्ञानिक या जनपक्षीय बहस छिड़ जायेगी। आज की फिल्मों से इस तरह की कोई भी उम्मीद रखना कोरी बचपना ही नहीं बहुत बड़ी मूर्खता भी है यह मैं अच्छी तरह से जानता-समझता हूँ। अब चाहे उस फ़िल्म का निर्देशक प्रकाश झा ही क्यों न हो? वैसे भी, अब आज के प्रकाश झा पुराने "फोर्सेज आफ्टर दी स्टार्म" या "सोनल" जैसी डोकुमेंत्री या फिर "दामुल" जैसी फ़िल्म बनाने वाले प्रकाश झा तो हैं न

शेहला मसूद की हत्या एक शर्मनाक एवं कायर कृत्य है

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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हमारे देश में किसी सामाजिक कार्यकर्ता और खास करके किसी आर टी आई कार्यकर्ता पर जान लेवा हमला करके उसकी आवाज़ को जबरन दबाने का प्रयास किया गया हो। इतिहास हमें बताता है कि अन्याय , अत्याचार और शोषण पर आधारित हर देश और हर समाज में इस तरह की घटनाएँ आये दिन होती रहती हैं। पर शेहला मसूद की दिनदहाड़े की गयी हत्या कई मायनों में न सिर्फ हमारे यहाँ की इस भ्रष्ट , मनुष्य विरोधी और अत्याचारी व्यवस्था के असली चरित्र को पूरी तरह से बेनकाब करती है , बल्कि उन तमाम लोगों की मुंदी हुयी आँखों को खोलने के लिए एक ज़बरदस्त झटका भी है , जिनको लगता है कि हमारा देश प्रगति कर रहा है , हमारी अर्थव्यवस्था कुछ ही दिनों में दुनिया में नंबर दो के पायदान पर पहुँच जायेगी और अब हम पूरी तरह से विकसित व सभ्य हो गए हैं। शेहला मसूद की हत्या से बहुतों का यह भ्रम जाल तार - तार हो गया है। इस कायरता पूर्ण घटना से पहली बात तो यह साबित हो

हाँ, सेक्स वर्कर्स को भी सम्मान से जीने का हक मिलना चाहिये

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बहुत लोगों को यह् बात बहुत नागवार लग सकती है.वो नाक भौं सिकोडते हुये पागलपन की हद तक आग बबूला हो सकते है.यह भी हो सकता है कि भारतीय संस्क्रिति के कुछ स्वम्भू ठेकेदार इस बात पर इतना भड़क उठें कि सडकों पर उतर कर तोड़-फोड़ करने लगें. और शायद यह भी हो जाये कि देश के किसी दूर-दराज़ के गाँव की किसी पन्चायत में आनन फ़ानन में इस के खिलाफ़ कोई फ़तवा भी जारी कर दिया जाये. पर हमारे संविधान के अनुसार इस देश के हर इन्सान को सम्मान से जीने का अधिकार है.फ़िर सेक्स वर्कर्स को यह अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिये?... यह् बात मैं नहीं इस देश का सर्वोच्च न्ययालय कह रहा है. जी हां, सुप्रीम कोर्ट सेक्स वर्कर्स को सम्मान के साथ उन्हें अपना पेशा चलाने के लिए 'माकूल हालात' पैदा करने की तैयारी में है. आ ई बी एन 7 की ताज़ा खबर के अनुसार---सुप्रीम कोर्ट मनाता है कि सेक्स वर्कर्स को भी सम्मान से जीने का हक मिलना चाहिये. परन्तु जिस देश मे लडकियों को गर्भ में ही मार दिया जाता हो,उनके साथ हर कदम पर भेदभाव किया जाता हो,उनको या तो गुलाम या भोग्या या बिकाऊ जिंस समझा जाता हो, उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया ज

बाबा व्यापार करने के साथ सत्ता में हिस्सेदारी भी चाहते हैं...दो

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लेकिन बाज़ार पर कब्ज़ा करने और सत्ता में हिस्सेदारी के लिये जिन ज़रूरी अवयवों की ज़रूरत होती है वह सब कुछ बाबा के पास बिल्कुल नहीं है . बल्कि सिरे से गायब है . आज के प्रतिस्पर्धा से भरपूर समय में बाज़ार में वही अपनी सही जगह बनाकर टिक पाता है जिसके उत्पाद गुणवत्ता और परिणाम दोनों में उत्तम होते हैं .... और इस मामले में बाबा का हाँथ कत्तई तंग है . शुरू से ही उनके उत्पादों के बनाने के तौर तरीकों और उनमें मिलाये जाने वाले तत्वों पर सवाल खडे किये जाते रहे हैं . और सम्भवतः इन्हीं सब कारणों की वजह से एवं " गुड मैनुफ़ैक्चरिन्ग प्रैक्टिसेज " के अभाव से उनके उत्पाद अमेरिका सहित कई देशों में प्रतिबन्धित हैं . हमारे देश में भी उनके उत्पादों के दावों की कलई पूरी तरह से खुल चुकी है . बाबा दावा करते हैं कि उनके सिखाये योग और उनकी दवाइयों के नियमित सेवन से डायब